बवासीर के कारण, लक्षण एवं मस्से सुखाने के उपाय- piles information in Hindi

आजकल के बदलते जीवनशैली में खराब खानपान और सुस्त दिनचर्या के कारण कई बिमारियां बढ़ रही हैं इसी में एक पाइल्स भी है। पाइल्स को हिंदी में बवासीर कहते हैं एवं अंग्रेजी में इसका दूसरा नाम हेमोरॉयड (Hemorrhoid) है।

आज के आधुनिक जीवनशैली के दौर में बवासीर की समस्या काफी लोगों में पाई जा रही है। चूंकि यह एनस में होता है इसलिए बहुत सारे लोग इसे किसी को बताने से कतराते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए इसके लक्षण आने पर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

बवासीर क्या है?

बवासीर,निचले मलाशय या मलद्वार की नशों में सूजन होने के फलस्वरूप होने वाली बिमारी है। प्राकृतिक रूप से मलद्वार(anus) में खून की नसें पाई जाती हैं, किसी कारणवश जब इन नसों में सूजन आ जाता है तो ये फूलकर बड़ी हो जाती हैं तो इसे ही बवासीर कहा जाता है एवं इसके कारण दर्द या रक्ततस्राव हो सकता है।

बवासीर सामान्यतः पुरुष एवं महिला दोनों में पाया जाता है। पचास की उम्र के बाद लगभग 50% लोगों में बवासीर पाया जाता है(1)। ये मलद्वार के अंदर या बाहर पाया जा सकता है।

बवासीर के लक्षण एवं उनके प्रकार-bawasir ke lakshan in hindi

बवासीर होने पर आपको निम्न प्रकार के लक्षण हो सकते हैं-

  • मलत्याग के साथ ताज़ा लाल खून आना
  • मलद्वार के आस-पास अधिक खुजली होना
  • मलद्वार में दर्द होना
  • मलद्वार के आस-पास गांठ जैसा लगना
  • प्रोलैप्स बवासीर होने पर वो हिस्सा मलद्वार के बाहर आना

स्थान के आधार पर बवासीर मुख्यतः चार प्रकार के हो सकते हैं तो चलिए जानते हैं कौन सा बवासीर कैसा होता है-

आंतरिक बवासीर

आंतरिक बवासीर में गुदा मार्ग या मलाशय कि परत पर मौजूद नशों में सूजन के कारण उभार आता है। ये इतने अंदर होते हैं कि सामान्यतः इन्हें देखा नहीं जा सकता। जब तक ये छोटे होते हैं तब तक कम गंभीर होते हैं लेकिन यदि ये लंबे उभार बनाएं तो अधिक गंभीर होते हैं।

सामान्यतः इसमें दर्द के लक्षण नहीं आते क्योंकि हमारे मलाशय में दर्द को महसूस करने वाली तंत्रिकाएं नहीं पाई जाती। लेकिन यदि ये बवासीर और बढ़ने लगें तो आपको वहां पर दर्द, जलन या गांठ महसूस हो सकता है एवं शौच के वक्त मल के साथ खून भी दिख सकता है।

प्रोलैप्स बवासीर

जब आंतरिक बवासीर इतना बढ़ जाए की वो लटक कर गुदा मार्ग के बाहर आ जाए तो उसे प्रोलैप्स बवासीर कहा जाता है। इसके बाहर उभरने की स्थिति के अनुसार इसे 4 श्रेणी में बांटा जा सकता है।

  • ग्रेड 1- जब आंतरिक बवासीर में थोड़ा भी लटकाव ना हो एवं वो हमेशा अपने स्थान पर ही रहे
  • ग्रेड 2- ये बवासीर थोड़े से लटके हुए होते हैं एवं शौच के समय मलाशय एवं मलद्वार की ओर जोर लगाने पर बाहर आ जाते हैं और उसके बाद अपने से ही फिर अंदर भी चले जाते हैं।
  • ग्रेड 3- ये बवासीर मलद्वार से बाहर तो आ जाते हैं लेकिन अपने से अंदर नहीं जाते, लेकिन कोशिश करने पर ये अंदर चले जाते हैं। इस ग्रेड के बवासीर का इलाज कराना जरूरी होता है।
  • ग्रेड 4- ये बवासीर बाहर तो आ जाते हैं लेकिन कोशिश करने पर भी आसानी से अंदर नहीं जाते या आंशिक रूप से ही वापस अंदर जाते हैं। इस बवासीर का इलाज कराना भी काफी आवश्यक होता है क्योंकि इसमें दर्द या बेचैनी की समस्या परेशान कर सकती है।

बाह्य बवासीर

ये बवासीर मलद्वार पर या उसके आस-पास होते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है की ये दिखाई दें लेकिन कुछ बाह्य बवासीर गांठ की तरह मलद्वार के बाहर दिख सकते हैं। इसके लक्षण आंतरिक बवासीर के जैसे ही होते हैं लेकिन चूंकि ये मलद्वार में होता है और वहाँ दर्द का एहसास कराने वाली तंत्रिकाएं पाई जाती हैं इसलिए बैठते समय या शौच के समय इसमें अधिक दर्द हो सकता है।

थ्रोम्बोस्ड बवासीर

ये आंतरिक या बाह्य दोनों तरह के बवासीर में हो सकता है, इसमें बवासीर वाली जगह पर खून जम जाता है एवं उसका थक्का बन जाता है। ये खून का थक्का मलद्वार या मलाशय के आस-पास गांठ या सूजन के रूप में महसूस हो सकता है।

इस तरह के बवासीर में तेज दर्द, सूजन या खुजली के लक्षण हो सकते हैं तथा गांठ वाली जगह पर लालपन या नीला रंग दिख सकता है। बाह्य बवासीर में थ्रोम्बोस्ड होने का खतरा अधिक रहता है क्योंकि वो शरीर के बाहर रहता है इसलिए वहाँ का तापमान शरीर के तापमान से कम हो जाता है जिससे खून जम जाता है।

इसके अलावा इन्हें खूनी और वादी बवासीर के रूप में भी बाँटा जा सकता है

खूनी बवासीर

ऊपर दिए हुए सभी प्रकार के बवासीर में खून आ सकता है चाहे वो आंतरिक, बाह्य, या थ्रोम्बोस्ड बवासीर हो। आमतौर पर शौच के समय यदि मल अधिक कठोर हो तो वो बवासीर वाली जगह को रगड़ते हुए बाहर आता है एवं सूजी हुई परत को चोट पहुँचाता है जिससे वह से रक्त निकलता है। लेकिन यदि आपका बवासीर काफी बढ़ गया हो तो कम कठोर वाले मल से भी खून निकल सकता है।

कभी-कभी जब थ्रोम्बोस्ड बवासीर में बना गांठ रक्त से भर जाता है तो वह फूट जाता है। अब इस फूटे हुए गांठ का रक्त खूनी बवासीर के रूप में बाहर आता है। बवासीर के करण आने वाला खून सामान्यतः ताजा एवं लाल रंग का होता है एवं मल के साथ आता है।

खूनी बवासीर से सबसे बड़ा नुकसान खून कि कमी होने का होता है, धीरे-धीरे रक्त निकलने से शरीर में खून की कमी होने का खतरा रहता है। यदि रक्तस्त्राव अधिक हो तो जल्दी से डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि खून की कमी होने के कारण गंभीर समस्या हो सकती है।

वादी बवासीर

जब बवासीर से रक्त बाहर नहीं आता तो उसे वादी बवासीर कहते हैं। इसमें दर्द, सूजन या खुजली के लक्षण तो होते हैं लेकिन शौच के समय रक्त नहीं दिखाई देता। यदि इसकी भी गंभीरता बढ़ती रहे तो आगे चलकर ये भी खूनी बवासीर में तब्दील हो सकता है।

बवासीर के कारण-bawasir kaise hota hai

बवासीर का मुख्य कारण है मलद्वार या मलाशय के पास मौजूद खून की नशों में क्षति होना। किसी भी कारण से यदि मलद्वार या मलाशय पर खिंचाव या दबाव उत्पन्न होगा तो उससे वहाँ की नशों में सूजन आएगी एवं धीरे-धीरे वो बवासीर का रूप ले लेगा। सामान्यतः निम्न कारणों से बवासीर होने का खतरा रहता है-

  • शौच के समय अक्सर कठोर मल से
  • शौच के समय बार-बार जोर लगाने से
  • लंबे समय कब्ज के कारण
  • लंबे समय तक चलने वाले दस्त के कारण
  • आहार में कम फ़ाइबर का सेवन करने से
  • शरीर का वजन अधिक होने से
  • लंबे समय तनाव के कारण
  • महिला मे गर्भावस्था के समय या बच्चे को जन्म देते समय
  • हमेशा अत्यधिक वजन उठाने से
  • गुदा सेक्स करने से

बवासीर होने का पता कैसे चलेगा

यदि आपको बवासीर से संबंधित लक्षण दिखते हैं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपका चिकित्सक ही जांच के उपरांत इस बात की पुष्टि करेगा की असल में वो बवासीर है या नहीं।

यदि आपका बवासीर बाहर है तो डॉक्टर उसे बाहर से ही देखकर उसकी पहचान सुनिश्चित करेगा। और यदि आपका बवासीर आंतरिक यानि अंदर होगा तो उसके लिए कुछ यंत्र का उपयोग करके आपका डॉक्टर उसका पता करेगा।

आंतरिक बवासीर का जांच कराना जरूरी होता है क्योंकि इसके कुछ लक्षण में पाचन संबंधी अन्य बिमारी के लक्षण से भ्रमित कर सकते हैं। जैसे की मलद्वार से रक्त आना बवासीर भी हो सकता है या फिर कुछ अन्य बिमारी में भी ऐसा हो सकता है इसलिए इसका परीक्षण डॉक्टर द्वारा आवश्यक है।

बवासीर का घरेलू इलाज piles homemade treatment in hindi

यदि बवासीर गंभीर ना हो तो ही इसके लिए घरेलू इलाज किया जा सकता है लेकिन यदि बीमारी बढ़ जाए तो डॉक्टर से मिलकर उसका उचित इलाज कराना आवश्यक हो जाता है, नहीं तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं की घर पर बवासीर का क्या-क्या इलाज कर सकते हैं-

गर्म पानी में बैठना (सिट्ज बाथ)

बवासीर के घरेलू इलाज में सबसे अच्छा होता है सीट्ज बाथ। इसमें पानी को गुनगुना करके उसमें थोड़ा सा नामक मिला दें। उसके बाद इस पानी को किसी चौड़े बर्तन में डाल लें जिसमें कि आप बैठ सकें। अब अपने बवासीर वाले हिस्से को पानी डूबाकर लगभग 10 से 15 मिनट तक बैठें। इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 4 बार करें

यह प्रक्रिया करने से आपके बवासीर के सूजन एवं दर्द में कमी आएगी। घरेलू नुस्खों में ये तरीका रामबाण है एवं यदि इससे राहत ना मिले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बर्फ से सिकाई करना ( कोल्ड कॉम्प्रेस)

मलद्वार के पास बर्फ से सिकाई करने पर आपके बवासीर के सूजन में कमी आएगी। बाहरी बवासीर के सूजन एवं दर्द को कम करने में ये काफी लाभकारी होता है।

लेकिन बर्फ को हमेशा किसी कपड़े या तौलिया में लपेट कर ही इस्तेमाल करना चाहिए। इसे बिना कपड़े में लपेटे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए नहीं तो आपकी त्वचा को इससे नुकसान हो सकता है।

बवासीर का इलाज-bawaseer ki dawai

बवासीर का इलाज उसकी गंभीरता के अनुसार कुशल चिकित्सक द्वारा विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है। कभी-कभी कुछ दवा से ही बवासीर को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन यदि रोग बढ़ जाए तो सर्जरी विधि या अन्य प्रक्रिया से इसका इलाज किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि कुशल डॉक्टरों द्वारा किन विधियों से बवासीर का इलाज किया जा सकता है-

रबर बैंडिंग– इसमें रबर के बने एक बैंड से बवासीर को इतना कसकर बांध दिया जाता है की उसमें खून का प्रवाह ना हो। इससे बवासीर का मस्सा कुछ दिनों में सूख जाता है।

स्क्लेरोथेरेपी– इसमें एक पदार्थ, इन्जेक्शन के जरिए बवासीर वाली जगह पर लगा दिया जाता है। ये दवा बवासीर के मस्सों में खून के रक्त को बंद कर देती है जिसके फलस्वरूप ये सुख जाते हैं।

इन्फ्रारेड जमावट– इसमें इन्फ्रारेड किरणों एवं ताप का उपयोग करके रक्त को जमा दिया जाता है जिसके कारण बवासीर तक रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता एवं धीरे-धीरे इसका मस्सा सूखने लगता है।

बवासीर का ऑपरेशन( hemorrhoidectomy)– जब बवासीर अधिक बढ़ जाता है एवं अन्य तरीकों से फायदा नहीं होता तब बवासीर का ऑपरेशन करवाना जरूरी हो जाता है। यह प्रक्रिया कुशल सर्जन द्वारा किया जाता है।

इन प्रक्रियाओं में जो आपके लिए उचित उसके जरिए डॉक्टर आपके बवासीर को जड़ से खतम कर उसे ठीक कर सकते हैं।

बवासीर के लिए खान-पान एवं परहेज

बवासीर के रोगियों को खान-पान का विशेष ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इससे आपका पाचन प्रभावित होता हैं एवं उसके फलस्वरूप मल का कठोर या मुलायम होना निर्भर करता है। और आपको तो पता है कि कब्ज या मल का कठोर होना बवासीर को बढ़ावा दे सकता है। इसलिए चलिए जानते हैं कि इसके लिए आपको अपना खान-पान कैसा रखना चाहिए एवं किन चीजों से परहेज रखना चाहिए-

अपने भोजन में फ़ाइबर की मात्रा बढ़ाएं – पाचन को ठीक रखने एवं कब्ज को दूर करने में फ़ाइबर बहुत ही अच्छी भूमिका निभाता है। और बवासीर क् कारणों में कब्ज बहुत बड़ा कारण है, यदि बवासीर होने के बाद भी कब्ज हो जाए तो ये बिमारी को और बढ़ा सकता है। इसके अच्छे स्त्रोत दाल, हरी सब्जी, फल एवं अन्य साबूत अनाज हैं।

अधिक पानी पियें– पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मल मुलायम होता है एवं आसानी से मलद्वार के बाहर निकल जाता है जिससे बवासीर का घाव नहीं बढ़ता एवं इससे बवासीर को ठीक होने में मदद मिलती है।

सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें– खासकर हरी सब्जियों में इन्साल्यबल फ़ाइबर बहुत ही अच्छी मात्रा में पाया जाता है और ये कब्ज को दूर करने में काफी कारगर है।

पानी वाले फलों का सेवन करें– गर्मी के दिनों में पानी कि कमी को दूर रखने के लिए पानी वाले फल जैसे तरबूज का सेवन बवासीर के लिए भी लाभकारी होता है क्योंकि इससे पानी आपकी आंतों तक पहुंचता है एवं मल को मुलायम करता है साथ ही इसमें फ़ाइबर भी होता है।

प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें– जितना अधिक प्रोसेस किया हुआ खाद्य पदार्थ होगा वो उतना ही नुक्सानदेय हो सकता है क्योंकि इसमें फ़ाइबर की मात्रा बहुत ही कम होगी एवं पोषण की भी कमी होगी। जसे प्रोसेस किया हुआ माँस कब्ज बढ़ा सकता है एवं इससे बवासीर की बिमारी बढ़ सकती है।

शराब का सेवन कम करें – यदि आपके शराब में कैफीन मिला हुआ है तो ये मल को कठोर कर सकता है एवं इससे बवासीर का घाव बढ़ सकता है।

दूध वाली चीजों का सेवन कम करें– इनमें फ़ाइबर कि कमी होती है इसलिए बवासीर में इनका सेवन कम किया जाना चाहिए।

बवासीर,भगन्दर एवं फिशर में अंतर

इन तीनों में बहुत ही कम अंतर होता है एवं इसका ठीक-ठीक पता लगाने के लिए डॉक्टर की आवश्यकता होती है, इनमे कुछ अंतर नीचे दिए गए हैं-

बवासीर – ये मलाशय के निचले हिस्से से लेकर मलद्वार के बाहर तक हो सकता है एवं इसमें खून की नसें सूज जाती हैं।

भगन्दर – ये सामान्यतः मलद्वार के मध्य में होता है एवं इसमें घाव होकर मवाज बनने लगता है तथा वहाँ पर इन्फेक्शन भी हो सकता है।

फिशर – ये मलद्वार के अंत में मौजूद चमड़ी के फटने से होता है, जिसके कारण वहाँ खुजली, दर्द या रक्तसत्राव हो सकता है। ये कुछ दिनों में अपने से भी ठीक हो सकता है यदि आप खानपान ठीक रखें एवं आपका पाचन ठीक हो तब लेकिन कई बार इसे डॉक्टर को दिखा कर उसका इलाज कराना जरूरी होता है।

बवासीर कितने दिन में ठीक होता है?

बवासीर का ठीक होना उसकी गंभीरता एवं इलाज की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। यदि बवासीर के लिए आप डॉक्टर की सलाह के साथ-साथ खानपान एवं अपनी दिनचर्या ठीक रखते हैं तो बवसीर के ठीक होने में कम दिन लगते हैं।

लेकिन कुछ लोग अपनी मर्जी से या इधर-उधर कहीं सुनकर स्वयं इलाज करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने से बवासीर के ठीक होने में कितने दिन लगेंगे ये बताया नहीं जा सकता है अपितु यदि गलत इलाज किया गया तो उलटे परिणाम भी हो सकते हैं एवं बवासीर बढ़ भी सकता है।

इसलिए आपका डॉक्टर सबसे अच्छे से बता सकता है की आपके बवासीर को ठीक होने में कितने दिन लगेंगे और इसके लिए सही इलाज क्या है।

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