टाइफॉइड का बुखार एक बैक्टीरिया के कारण होता है जिसका नाम है एस टाईफ़ी (S Typhi)। इसकेे कारण तेज बुखार, पाचन संबंधी समस्या जैसे दस्त होना, सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण आते हैं। यदि इसका समय पर इलाज ना कराया जाय तो ये गंभीर रूप ले सकता है एवं खतरनाक साबित हो सकता है।
कुछ क्षेत्रों में ये बिमारी बहुत ही आम होती एवं ऐसे स्थान पर जाने से आपको बहुत ही आसानी से टाइफॉइड हो सकता है। यदि ऐसे स्थानों पर जाएं तो साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें तथा यदि हो सके पहले से ही टाइफॉइड का टीकाकरण करवा लें।
टाइफॉइड क्या है? typhoid kya hota hai
टाइफॉइड, एस टाईफ़ी नाम के बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक बिमारी है जिसमें 103° से 104°F तक का बुखार हो सकता है। इसके अलावा ये छोटी आंत पर आक्रमण करता है एवं उससे संबंधित समस्या जैसे – दस्त, पेट दर्द आदि उत्पन्न कर सकता है, इसलिए इसे हिंदी में आंत्र ज्वर भी कहा जाता है। कभी-कभी अधिक गंभीर होनेे पर ये आंत में छेद भी कर देता है और ऐसी स्थिति होने पर सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
यह साल्मोनेला टाइफी नाम के ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया से होता है। यह सामान्यतः दूषित पानी या भोजन से फैलता है। यदि हमारे द्वारा इसे निगल लिया जाए तो शरीर में जाकर ये अपनी संख्या कई गुना बढ़ाता है एवं रक्त मार्ग में जाकर फैल जाता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।
टाइफॉइड बुखार क्यों होता है?(typhoid causes in hindi)
टाइफाइड बुखार सामान्यतः साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से दूषित भोजन या पानी के संपर्क में आने से होता है। टाइफॉइड से ग्रसित लोगों के मल एवं मूत्र में टाइफॉइड का बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी मौजूद होता है। यदि ये लोग शौच के बाद अपने हाथ को अच्छे से नहीं धोते तो उनके हाथ में ये बैक्टीरिया रह जाता है। और उसके बाद ये लोग जो कोई भी चीज अपने हाथों से छूते हैं जैसे पानी, खाना या अन्य वस्तु जैसे मोबाईल फोन, पानी की टोंटी, वहाँ ये बैक्टीरिया फैल जाता है और उस चीज को दूषित कर देता है।
अब यदि कोई अन्य व्यक्ति उस दूषित भोजन या पानी को खाता या पीता है तो ये बैक्टीरिया उसके अंदर प्रवेश कर जाता है एवं उसके अंदर भी टाइफॉइड कि बीमारी उत्पन्न करता है।
इसके अलावा यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इस बैक्टीरिया से दूषित किसी पदार्थ को छूता है जैसे- मोबाईल फोन, पानी की टोंटी आदि तो उसके हाथ में बैक्टीरिया के लगने की संभावना अधिक होती है और ऐसे में यदि वो व्यक्ति बिना हाथ धोए कुछ खाता है तो हाथ में लगे बैक्टीरिया उसके अंदर प्रवेश कर जाते हैं एवं उसे भी बीमार कर देते हैं।
टाइफॉइड का बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी सामान्यतः पानी और सूखे मल में कई हफ्तों तक जीवित रह सकता है। इसलिए इससे बचने के दूषित पानी का सेवन नहीं करना चाहिए एवं साफ-सफाई रखना चाहिए।
ऊपर दिए गए जानकारी के अलावा ये और निम्न प्रकार से फैल सकता है-
- यदि कोई व्यक्ति जो टाइफॉइड से ग्रसित है और शौच के बाद बिना हाथ धोए आपके लिए खाना पकाता है या आपको कोई चीज खाने को देता है
- यदि कोई टाइफॉइड से ग्रसित व्यक्ति स्विमिंग पूल में मूत्र या मल का त्याग करता है तो उस पानी के संपर्क में आने से अन्य लोगों को टाइफॉइड हो सकता है
- यदि टाइफॉइड से ग्रसित व्यक्ति ने शौच के बाद हाथ नहीं धोया है तो उससे हाथ मिलाने वाले व्यक्ति को इसका संक्रमण हो सकता है यदि हाथ मिलाने के बाद बिना हाथ धोए कुछ खाता है तो
- यदि खेत कि मिट्टी टाइफॉइड से ग्रसित व्यक्ति के मल-मूत्र से दूषित होता है तो उस खेत से उपजे हुए कच्चे शाक सब्जी खाने से टाइफॉइड फैल सकता है
- टाइफॉइड से ग्रसित या वाहक व्यक्ति के साथ मौखिक या गुदा सेक्स करने से भी ये फैल सकता है
टाइफाइड के लक्षण हिंदी (typhoid symptoms in hindi)
टाइफॉइड के बैक्टीरिया से संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में लगभग 1 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है। इसका मुख्य लक्षण तेज बुखार होता है लेकिन साथ में पेट दर्द, दस्त या उल्टी भी हो सकता है। शुरुआत में इसका बुखार 103F से 104F तक तेज होकर अगले दिन फिर कम हो सकता है एवं उसमें उसके बाद कई बार बुखार चढ़ कर उतर सकता है।
तेज बुखार के साथ शुरुआत में टाइफॉइड के निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं-
- सिर दर्द
- कमजोरी एवं थकान
- पेट दर्द
- उल्टी
- कब्ज या दस्त
- ठंड लगना
- खांसी आना
- मांशपेसियों में दर्द
- कुछ लोगों में त्वचा पर छोटे-छोटे लाल धब्बों के साथ ददोरा पड़ना, ये सामान्यतः सीने या पेट पर हो सकता है
यदि टाइफॉइड का इलाज समय पर नहीं हुआ तो लक्षण शुरू होने के कुछ हफ्ते बाद ये पेट में गंभीर संक्रमण कर सकता है एवं इससे पेट में गंभीर सूजन एवं दर्द हो सकता है। इसके और बढ़ने पर sepsis कि समस्या भी हो सकती है जिसमें रोग प्रतिरोधक शक्ति ही शरीर को नुकसान पहुँचाने लगती है और इससे शरीर के अंग भी खराब हो सकते हैं एवं मरीज कि मृत्यु भी हो सकती है।
टाइफॉइड कि जांच
टाइफॉइड है कि नहीं इसका पता करने के लिए कई तरह के जांच किए जा सकते हैं। इसके लिए मरीज के शरीर से रक्त, मल, त्वचा, अस्थि मज्जा(Bone marrow), मूत्र के नमूने लेकर उसकी जांच कि जाती है। इसमें मूत्र के नमूने कि जांच बहुत ही कम होती है। लेकिन ज्यादातर खून जांच करके टाइफॉइड का पता किया जाता है, जिसमें निम्न प्रकार के जांच अधिक होते हैं-
ब्लड कल्चर– इसमें आपके शरीर से रक्त निकालकर उसमें बैक्टीरिया कि उपस्थिति जांच की जाती है। यदि रक्त में टाइफॉइड का बैक्टीरिया पाया जाता है तो यह निश्चित हो जाता है कि वो व्यक्ति टाइफॉइड से ग्रसित है। यदि इसका परिणाम पाज़िटिव आता है तो यह 100% निश्चित हो जाता है कि वह व्यक्ति टाइफॉइड से ग्रसित है। इसका परिणाम काफी विश्वशनीय है।
लेकिन इस जांच से पहले डॉक्टर आपके दवा लेने के इतिहास को पूछ सकते हैं क्योंकि कुछ दवाओं से इसका परिणाम प्रभावित हो सकता जैसे antibiotic दवाओं से।
टायफी डॉट टेस्ट (typhidot)– यह एक प्रकार का रैपिड सीरोलॉजिकल टेस्ट है एवं यह टाइफॉइड कि जांच के लिए किया जाता है। इसमें आपके रक्त में IgG और IgM एंटी बॉडी कि उपस्थिति कि जांच कि जाती है। यदि टाइफॉइड का संक्रमण पुराना होगा तो IgG पाज़िटिव होगा और यदि संक्रमण नया होगा तो IgM पाज़िटिव होगा।
इस जांच के लिए डॉट ELISA किट का इस्तेमाल किया जाता है जो कि गुणात्मक पहचान के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसका परिणाम केवल पाज़िटिव या नेगटिव में ही आता है एवं उसकी मात्रा नहीं बताता।
विडाल टेस्ट – यह एक प्रकार का रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट है एवं इसका इस्तेमाल टाइफॉइड के बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी एवं पैराटाइफॉइड के बैक्टीरिया साल्मोनेला पैराटाइफी के संक्रमण कि जांच करने की लिए किया जाता है।
इसमें टाइफॉइड के लिए साल्मोनेला टाइफी “O” एवं “H” एंटी बॉडी की जांच कि जाती है। यदि साल्मोनेला टाइफी “O” एवं “H” दोनों का टाइटर मान 1:160 से अधिक होता है तो उसके टाइफॉइड से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है एवं टाइफॉइड पाज़िटिव माना जाता है।
विडाल टेस्ट कि कमियाँ
विडाल टेस्ट बहुत ही सस्ता एवं आसानी से होने वाला टाइफॉइड कि जांच है। लेकिन इसकी कुछ कमियाँ ये हैं कि ये एक तरह का अनुमानात्मक परीक्षण है एवं इसके जांच में गलत पाज़िटिव परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
टाइफॉइड का टीका लेने वाले एवं पहले कभी टाइफॉइड से संक्रमित लोगों में भी विडाल टेस्ट का परिणाम पाज़िटिव आ सकता है। इसके अलावा कुछ इन्फेक्शन जैसे टाइफस एवं लंबी लिवर कि बिमारी आदि में भी इसके परिणाम पाज़िटिव आ सकते हैं।
इसकी इन कमियों के कारण ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि इस जांच पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए।
टाइफॉइड के बार-बार होने का कारण
कुछ लोगों में बार-बार टाइफॉइड होने कि समस्या आने लगती है। इसमें से बहुत ही कम ऐसे लोग होते हैं जिन्हें कुछ ही दिनों में सच में दुबारा से टाइफॉइड हुआ हो।
लेकिन चूंकि टाइफॉइड के लिए विडाल टेस्ट बहुत ही सस्ता एवं आसान है इसलिए अधिकतर जगह इसी का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि विडाल टेस्ट में ठीक हो चुके टाइफॉइड के बाद भी जांच में पाज़िटिव परिणाम आ सकता है इसलिए काफी लोगों में गलत पाज़िटिव परिणाम देखने को मिलता ही।
इसलिए यदि आपको टाइफॉइड बार-बार होने कि समस्या हो रही है तो किसी कुशल डॉक्टर से मिलकर उसका इलाज करवाए एवं डॉक्टर से अपने पिछले बार हुए टाइफॉइड के बारे में भी बताएं जिससे कि टाइफॉइड होने कि पुष्टि उचित प्रकार से हो सके।
टाइफॉइड में क्या खाएं और किससे करें परहेज
टाइफॉइड में भोजन का विशेष ध्यान देना चाहिए, हालांकि केवल बेहतर खाने से आपका टाइफॉइड ठीक नहीं होगा लेकिन इलाज के दौरान कुछ समस्या में ये जरूर लाभ पहुंचा सकती हैं।
टाइफॉइड होने पर मरीज को पोषण से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए एवं पचने में भारी खाद्य पदार्थों से परहेज रखना चाहिए क्योंकि इस बिमारी में आंत भी प्रभावित होती है और इसलिए इन्हें पचाने में समस्या हो सकती है। अतः आपको आसानी से पचने वाले पोषक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए एवं पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आप निम्न तरीके अपना सकते हैं-
- कच्ची सब्जियों का सेवन ना करें
- मलाई सहित दूध का सेवन करने से बचें, साढ़ी उतारकर दूध लें या कम मात्रा में साढ़ी लें
- ताजे फलों का सेवन करें
- प्रोटीन के लिए मांशाहारी स्त्रोत का सेवन डॉक्टर की अनुमति के बाद ही करें
- अधिक मसालेदार एवं तेल वाला भोजन ना करें
- अधिक फ़ाइबर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन कम करें क्योंकि ये पचने में भारी होते हैं
टाइफॉइड बुखार का इलाज
टाइफॉइड का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। एवं इसके साथ में आपके लक्षण एवं टाइफॉइड कि गंभीरता के अनुसार कुछ अन्य सहायक दवाओं का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। उपचार शुरू होनेे के कुछ ही दिनों में आप बेहतर महसूस करने लगते हैं, लेकिन फिर भी आपके जरिए टाइफॉइड फैल सकता है जब तक कि टाइफॉइड पूरी तरह से ठीक ना हो जाए।
इसलिए इलाज ले रहे टाइफॉइड के मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- डॉक्टर जितने दिन कहें उतने दिन तक नियमित रूप से दवा लें
- शौच जाने के बाद अच्छी तरह हाथ धुलें एवं टाइफॉइड ठीक होने तक खाना ना पकाएं, इससे आपके जरिए दूसरों को इन्फेक्शन होने से बचाया जा सकता है
- उपचार पूर्ण होने बाद डॉक्टर को ये सुनिश्चित करने दें कि आपके शरीर में अब कोई भी टाइफॉइड का बैक्टीरिया मौजूद नहीं है
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कैसे पता करें कि टाइफाइड है या नहीं?
टाइफॉइड है कि नहीं ये पता करने के लिए आपको डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उचित जांच करवानी चाहिए। आपके डॉक्टर आपको विडाल टेस्ट, टाईफ़ी डॉट, ब्लड कल्चर आदि में से आपकी स्थिति एवं जरूरत के अनुसार उचित जांच कि सलाह देंगे।
टाइफाइड का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
टाइफॉइड का सबसे अच्छा इलाज उचित antibiotic दवाओं से होता है जिसके बारे में कुशल डॉक्टर ही अच्छी जानकारी रखते हैं , एवं इसके साथ अन्य सहायक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
टाइफाइड का शुरुआती चरण क्या है?
salmonella typhi के संपर्क में आने के 5 से 14 दिन अंदर व्यक्ति को इसके शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं। इसके शुरुआती चरण में तेज बुखार के लक्षण आने लगते हैं।
टाइफाइड बुखार का असर कितने दिन तक रहता है?
टाइफॉइड बुखार का असर इसकी गंभीरता एवं इलाज पर निर्भर करता है। यदि समय से इसका पता चल जाए तो लगभग 10 दिनों में आप काफी बेहतर महसूस करने लगते हैं लेकिन दवा आपके डॉक्टर के अनुसार और लंबी चल सकती है।
टाइफाइड में जल्दी ठीक होने के लिए क्या खाएं?
टाइफॉइड में जल्दी से सेहत को ठीक करने के लिए आपको पौष्टिक एवं आसानी से पचने वाले खाद्य खाने चाहिए। आप इसमें आलू, चावल, पका केला, सेब, नारियल पानी, वसा निकाला हुआ दूध या दही, रिफाइनकीय हुए अनाज आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा अंडा, मछली, मांश आदि डॉक्टर से सलाह के बाद ले सकते हैं।
टाइफाइड बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए?
टाइफॉइड बुखार में पचने में भारी खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए या कम खाना चाहिए जैसे तेल और मसाला। क्योंकि इस बिमारी में आंत भी प्रभावित होती है इसलिए पाचन पर भारी पड़ने वाली चीजें नहीं खानी चाहिए।
इसके अलावा अधिक फ़ाइबर वाले खाद्य पदार्थ से बचना चाहिए क्योंकि ये पचने में भारी होते हैं, जैस- हरी एवं कच्ची सब्जियां, खड़े अनाज, कच्चे फल, कद्दू के बीज, चना एवं चना दाल, दुकान के बने अधिक तेल मसाले में बने खाद्य पदार्थ आदि।
टाइफाइड बुखार में कितने इंजेक्शन लगते हैं?
टाइफॉइड बुखार में इन्जेक्शन लगाना अनिवार्य नहीं होता है। व्यक्ति कि बिमारी के गंभीरता पर यह निर्भर करता है कि उसे इन्जेक्शन लगेगा या नहीं यदि लगेगा तो की इन्जेक्शन लगेगा।
टाइफाइड की कमजोरी में क्या खाना चाहिए?
टाइफॉइड की कमजोरी में पौष्टिक, आसानी से पचने वाली एवं अच्छे से पकाई हुई चीजें खानी चाहिए। इसके अलावा पके हुए फल जैसे कील आदि ले सकते हैं।
बार- बार टाइफाइड होने का कारण क्या है?
बार-बार टाइफॉइड बैक्टीरिया से दूषित खाने या पीने वाली चीजों के संपर्क में आने से बार-बार टाइफॉइड हो सकता है। इसके अलावा कुछ जांच जैसे विडाल टेस्ट में टाइफॉइड से ग्रसित नहीं होने पर भी पाज़िटिव आ सकता है और इस तरह से आपको बार-बार टाइफॉइड होने का भ्रम हो सकता है।
टाइफाइड चेक करने के लिए कौन सा टेस्ट होता है?
टाइफॉइड चेक करने के लिए सुविधा एवं जरूरत के अनुसार विडाल टेस्ट, टायफी डॉट टेस्ट, ब्लड कल्चर आदि किये जा सकते हैं एवं इसके साथ कुछ अन्य सहायक जांच भी किये जा सकते हैं।